बहुत से लोग मानते हैं कि अपने एसेट का अलोकेशन करना और शेयर बाजार में लगाए गए पैसे को ट्रैक करना ही निवेश होता है। हालांकि ऐसा नहीं है। निवेश के दौरान कई जरूरी कदम उठाना भी महत्वपूर्ण है। इनमें सबसे आवश्यक है पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन यानी पोर्टफोलियो में विविधता लाना।
पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन का अर्थ है अपने निवेश को अलग-अलग एसेट्स और एसेट वर्गों में फैलाना। डायवर्सिफिकेशन के कई कारण हैं, लेकिन उन कारणों को जानने से पहले पोर्टफोलियो में विविधता (डायवर्सिफिकेशन) लाने के स्टेप्स के बारे में जानते हैं।
पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के स्टेप्स
पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए, आपको सबसे पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों, इन लक्ष्यों को पूरा करने में लगने वाला समय और अपनी जोखिम उठाने की क्षमता की पहचान करनी होगी। उम्र और आय जैसे कई कारकों के साथ ये तीन कारक यह समझने में मदद करेंगे कि किन संपत्तियों में निवेश करना चाहिए और कितना निवेश करना चाहिए। हालांकि, पोर्टफोलियो में सही से एसेट अलोकेशन (संपत्ति का आवंटन) करने के बाद भी काम पूरा नहीं होता है। इसके बाद निवेश पर कड़ी नजर रखनी होगी। निवेश के प्रदर्शन पर लगातार नजर बनाएं रखें और उसके मुताबिक पोर्टफोलियो को बैलेंस करते रहें। ऐसा नहीं करने पर खराब निवेश को ट्रैक नहीं कर पाएंगे और समय पर लक्ष्य पूरे नहीं हो सकेंगे।
डायवर्सिफिकेशन के फायदे
इन बातों से पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन का महत्व जानें-
1. जोखिम से बचाता है
निवेश में बहुत सारे जोखिम शामिल हैं। हालांकि, भविष्य को सुरक्षित करने और मुद्रास्फीति को मात देने के लिए आज भी यह बहुत जरूरी है। इनमें से कुछ निवेश जोखिमों से खुद को बचाने के लिए पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन अपनाना चाहिए। अपने निवेश को फैलाकर, किसी एक क्षेत्र में अस्थिरता से खुद को बचा सकते हैं।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए आपके पास किसी स्टॉक पर बहुत ज्यादा जोखिम है, जैसे नीचे दिए गए पाई चार्ट में दिया गया है। अगर आपका स्टॉक निवेश फेल हो जाता है तो कुल नुकसान बहुत ज्यादा होगा।
लेकिन, अगर आपके पास नीचे दिए गए पाई चार्ट जैसे शेयरों में मध्यम जोखिम है, तो आपका कुल नुकसान पहले की तुलना में कम होगा।
2. कई सेक्टरों में निवेश में मिलती है मदद
जब आप अपने स्टॉक निवेश में विविधता लाते हैं, तो इससे अलग-अलग सेक्टर में निवेश किया जाता है। आप नहीं जानते कि इनमें से कौनसा सेक्टर कब अच्छा प्रदर्शन शुरू कर दे और अच्छा रिटर्न देने लगे। उदाहरण के लिए, COVID-19 महामारी के दौरान, कई दवा निर्माण कंपनियों के शेयरों में तेजी आई। अगर किसी ने अपने निवेश में विविधता लाने के लिए इन कंपनियों में पहले ही निवेश कर दिया होता, तो भारी मुनाफा होता।
3. ज्यादा और लगातार रिटर्न मिलता है
ऐतिहासिक रूप से देखें तो शेयर बाजार बहुत अस्थिर है। इसलिए केवल शेयरों में निवेश करने से रिटर्न नहीं मिल सकता है। वहीं, सुरक्षित संपत्ति (सेफ एसेट) जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश से कम रिटर्न मिलता है। मगर अगर आप अलग-अलग एसेट पर निवेश करते हैं तो निश्चित और लगातार रिटर्न जरूर मिलता है।
4. लिक्विडिटी मिलती है
लोग अक्सर फिक्सड डिपॉजिट या सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) जैसे सुरक्षित निवेश विकल्पों से चिपके रहते हैं। हालांकि, ये निवेश सुरक्षित हैं, लेकिन इनमें लॉक-इन अवधि होती है। ऐसे में किसी आपात स्थिति के दौरान इन्हें निकालने की कोशिश करने पर जुर्माना देना होता है। पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन का एक मुख्य फायदा यह है कि इन सुरक्षित निवेशों के साथ-साथ कुछ तरल (लिक्विड) निवेशों में निवेश कर सकते हैं, जिससे आपको जरूरत पड़ने पर तुरंत कैश हासिल करने की सुविधा मिल जाएगी।
पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन की दिक्कतें
डायवर्सिफिकशन के कई फायदे तो हैं, लेकिन यह हर किसी के बस की बात नहीं है। यही कारण है कि ज्यादातर भारतीय अपना पैसा फिक्सड डिपॉजिट या रिटायरमेंट फंड में लगाते हैं। मगर ये निवेश हमेशा मुद्रास्फीति को मात देने और मजबूत रिटायरमेंट फंड बनाने के लिए पर्याप्त नहीं होते हैं।
इसलिए, पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए पहले किसी पेशेवर से सलाह लें। अब यह पहले से काफी आसान हो गया है। ऑनलाइन जाकर किसी ऐसी वेबसाइट को चुनें, जहां वित्तीय परामर्श सेवाएं दी जाती हैं। वेल्थडेस्क एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जो इक्विटी और ईटीएफ का मिश्रित विकल्प देकर पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन में मदद करता है।
निष्कर्ष
निवेश में होने वाले सबसे बड़े नुकसानों में से एक- जोखिम (रिस्क फैक्टर) का मुकाबला करने के लिए पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन बहुत जरूरी है। पोर्टफोलियो में विविधता को शामिल करके यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि अगर बाजार पूरी तरह से अनुकूल नहीं है तो कम से कम निवेश का कुछ रिटर्न तो मिलेगा ही। वहीं, पेशेवरों की मदद से निवेश और भी आसान और बेहतर रिटर्न वाला हो सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
निवेश में ज्यादा डायवर्सिफिकेशन से काफी ज्यादा उलझन हो सकती है। अगर आपके पास बहुत ज्यादा एसेट्स हैं, तो उन सभी को मैनेज करना मुश्किल हो सकता है। वहीं, डायवर्सिफिकेशन से रिटर्न कम हो सकता है क्योंकि पोर्टफोलियो के सभी हिस्से ज्यादा रिटर्न नहीं दे पाते।
अगर आपके वित्तीय लक्ष्य को हाई रिटर्न की जरूरत है तो आपको अपने एसेट को हाई रिटर्न के साथ जोखिम में डालने की जरूरत होगी। वहीं, अगर आप एक परंपरागत सोच वाले व्यक्ति हैं, तो आपको ऐसे पोर्टफोलियो की जरूरत होगी जिसमें जोखिम कम हो। एक अच्छी तरह से डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो आपको दोनों जरूरतों के सबसे करीब लाएगा।
एक पोर्टफोलियो को अच्छी तरह से डायवर्सिफाइड तब ही माना जा सकता है, जब यह निवेशकों को अलग-अलग एसेट्स और एसेट वर्गों के लिए जोखिम दे रहा हो। साथ ही पोर्टफोलियो निवेशक की रिस्क प्रोफाइल और वित्तीय जरूरतों के अनुरूप होता है।
डायवर्सिफिकेशन का मतलब पैसे को अलग-अलग एसेट वर्गों के अलग-अलग निवेशों में फैलाना है ताकि किसी एक निवेश या एसेट वर्ग से जोखिम कम हो सके।