क्या एसेट अलोकेशन (Asset allocation) और डायवर्सिफिकेशन (Diversification) एक दूसरे से जुड़े हुए हैं? इसे समझने के लिए सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि एसेट अलोकेशन क्या है?
एसेट अलोकेशन एक ऐसी रणनीति है जो पोर्टफोलियो में एसेट्स को एडजस्ट करके रिटर्न और जोखिम के बीच संतुलन बनाने में मदद करती है। एसेट अलोकेशन इनकम फ्लो, निवेश का समय और लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है।
एसेट अलोकेशन कैलकुलेटर सबसे अच्छा डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो का निर्धारण करने में मदद कर सकता है। डायनामिक एसेट अलोकेशन के लिए, अंतिम निवेशक को आपके लिए सबसे अच्छी एसेट अलोकेशन योजना बनाने से पहले निवेश के लिए आपकी उम्र, इनकम फ्लो और लक्ष्यों की जरूरत होगी।
निवेश में डायवर्सिफिकेशन एक निवेश रणनीति है, जो निवेश पोर्टफोलियो में अलग-अलग निवेशों को मिक्स करने में मदद करती है।
दो निवेशकों के ऊदाहरण देखकर आप डायवर्सिफिकेशन की ताकत जान सकते हैं। निवेशक ए के पोर्टफोलियो में केवल एक स्टॉक है और निवेशक बी के पास पांच हैं। निवेशक ए के पास अपने पोर्टफोलियो में केवल एक स्टॉक है, इसलिए उसकी कीमत में बदलाव होने पर उसे नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। मगर निवेशक बी उतना प्रभावित नहीं होगा क्योंकि उसके पोर्टफोलियो में चार अन्य स्टॉक भी हैं। यही डायवर्सिफिकेशन का फायदा है।
परिभाषा और काम के अनुसार, एसेट अलोकेशन और डायवर्सिफिकेशन एक जैसा लगता है। यही कारण है कि कई निवेशक इन टर्म का परस्पर उपयोग करते हैं।
एसेट अलोकेशन के प्रकार
एक निवेशक अपने एसेट को चार एसेट वर्गों में स्टोर कर सकता है। ये हैं फिक्स्ड-इनकम एसेट्स, इक्विटी, कैश और रियल एस्टेट हैं। इन वर्गों में एसेट्स को प्रतिशत के आधार पर बांटने को एसेट अलोकेशन कहा जाता है। नीचे इन वर्गों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
- निश्चित आय वर्ग (Fixed income class)- निश्चित आय निवेश वर्ग भारत के सबसे पुराने निवेश रूपों में से एक है। इस निवेश में सरकारी बॉन्ड, सिक्योरिटीज और कॉर्पोरेट बॉन्ड शामिल हैं। इन निवेशों में निवेशक कर्जधारकों (debt holders) की तरह होते हैं जिन्हें मैच्योरिटी तक ब्याज मिलता है।
- नकद (Cash)- नकद और नकद के समकक्ष में निवेश करने का मुख्य कारण लिक्विडिटी पीरियड है। नकद समकक्ष जैसे ट्रेजरी बिल, वाणिज्यिक पत्र आदि को एक साल में खत्म किया जा सकता है।
- रियल एस्टेट (Real estate) – निवेशक अपना पैसा अपार्टमेंट, फ्लैट, जमीन में निवेश करते हैं जो भविष्य में भारी रिटर्न दे सकते हैं। यह एक लंबी अवधि का निवेश है। इसे आसानी से खत्म नहीं किया जा सकता है।
- इक्विटी एसेट (Equity asset) – विभिन्न कंपनियों के शेयरों और बॉन्ड में निवेश को इक्विटी शेयर कहा जाता है। निवेश के मूल्य को बढ़ाने के लिए निवेशक अपने पास विभिन्न कंपनियों के शेयरों का निवेश पोर्टफोलियो रख सकते हैं।
निवेश में एसेट अलोकेशन का महत्व
- रिस्क डायवर्सिफिकेशन
सबसे अच्छे एसेट अलोकेशन के लिए आपको अलग-अलग एसेट्स के तहत अपने निवेश में विविधता लानी चाहिए। अपने निवेश पोर्टफोलियो का विस्तार करके, आप जोखिम को कम करके अपने रिटर्न को कई गुना बढ़ा सकते हैं। उदाहरण के लिए, 2008 में एक बड़ा मार्केट क्रैश हुआ था। इस दौरान निवेशकों को नुकसान हुआ, लेकिन दूसरी ओर सोने की वस्तु का मूल्य ज्यादा था। इस तरह, जिन निवेशकों के पोर्टफोलियो में ये दोनों थे, वे बाजार के नुकसान से बच गए। पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन जोखिम को कम करता है और ज्यादा मुनाफे की संभावना को बढ़ाता है।
- कम अस्थिरता
बॉन्ड शेयरों में सभी निवेश जोखिम और उनके साथ जुड़े लाभकारी कारकों के साथ होते हैं। एसेट अलोकेशन और डायवर्सिफिकेशन से निवेश की अस्थिरता भी कम हो जाती है। अस्थिरता सिक्योरिटी पर रिटर्न को फैलाती है। अस्थिरता जितनी ज्यादा होगी, जोखिम उतना ही ज्यादा होगा।
- स्थिर रिटर्न
अगर आपके पास सबसे अच्छा एसेट अलोकेशन है, तो आप समय-समय पर स्थिर रिटर्न पा सकते हैं। एसेट अलोकेशन निवेश के जोखिम को कम करने और मुनाफा बढ़ाने में मदद करता है।
- एसेट अलोकेशन सख्त अनुशासन बनाए रखता है
अच्छा एसेट अलोकेशन अनुशासन बनाए रखने में मदद करता है। यह सुनिश्चित करता है कि निवेशक किसी खास सेक्टर में कम या ज्यादा निवेश तो नहीं कर रहा है। ये यह सुनिश्चित करने में भी मदद करता है कि कहीं निवेशक लालची नहीं है और ज्यादा जोखिम नहीं ले रहा है।
डायवर्सिफिकेशन और एसेट अलोकेशन के बीच संबंध
एसेट अलोकेशन अलग-अलग कारकों जैसे उम्र, इनकम फ्लो, निवेश की जरूरत के आधार पर किया जाता है। डायवर्सिफिकेशन एसेट अलोकेशन का एक तरीका है। डायवर्सिफिकेशन की रणनीति जोखिम को कम करने और मुनाफा बढ़ाने के लिए निवेश के अलग-अलग क्षेत्रों में पैसे को आवंटित करने में मदद करती है।
उदाहरण के लिए, अगर कोई निवेशक केवल अपने रिटायरमेंट के लिए शेयरों में निवेश करना चाहता है या कोई परिवार नकद और नकद समकक्षों में निवेश करके डाउन पेमेंट के लिए पैसा बचाना चाहता है, तो इसे एसेट अलोकेशन रणनीति कहा जाएगा, न कि डायवर्सिफिकेशन। अगर किसी खास वजह से निवेश करना चाहते हैं, तो डायवर्सिफिकेशन मददगार नहीं हो सकता है। अलोकेशन मॉडल चुनने का मतलब हमेशा डायवर्सिफिकेशन नहीं होता है। डायवर्सिफिकेशन तभी होगा जब निवेशक विभिन्न प्रकार के बाजार एसेट्स में निवेश करने का फैसला लेगा।
निष्कर्ष
डायवर्सिफिकेशन रणनीति एसेट अलोकेशन का हिस्सा है। एसेट अलोकेशन के जरिए मार्केटेबल सिक्योरिटिज में निवेश के लिए सबसे अच्छी रणनीति निर्धारित करने में मदद मिलती है। इच्छुक निवेशक पैसा बनाने के लिए नकद, इक्विटी, अचल संपत्ति और एक निश्चित आय वर्ग की संपत्ति में निवेश कर सकते हैं।एसेट्स का डायवर्सिफिकेशन तब होता है जब कोई निवेशक अपने निवेश का विस्तार करने के लिए अलग-अलग बाजार में छोटे-छोटे हिस्से में निवेश करने का फैसला लेता है। वेल्थडेस्क की मदद से निवेश करने और ज्यादा रिटर्न कमाने वाला पोर्टफोलियो बनाएं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
एसेट अलोकेशन एक निवेश रणनीति है, जो अलग-अलग एसेट्स में निवेश करके निवेश पोर्टफोलियो में रिवॉर्ड और जोखिम के बीच संतुलन बनाने में मदद करती है। एक निवेशक एसेट अलोकेशन कैलकुलेटर का इस्तेमाल करता है और आपकी जरूरतों और लक्ष्यों के मुताबिक आपके लिए सबसे अच्छा अलोकेशन प्लान तैयार करता है।
एक निवेशक बड़े फायदे के लिए तीन एसेट वर्गों में निवेश कर सकता है। ये तीन एसेट वर्ग इक्विटी, नकद और निश्चित आय एसेट वर्ग हैं।
एसेट अलोकेशन का मुख्य उद्देश्य रिटर्न को बढ़ाना और अस्थिरता को कम करना है।
• विभिन्न संपत्तियों में निवेश करें। अपने
निवेश में विविधता
लाएं।
• अपनी जरूरतों के अनुसार बॉन्ड, शेयर और
नकदी में निवेश करें।
• हमेशा अपना पोर्टफोलियो
बनाएं। शुरुआत में आपको कुछ नुकसान का सामना करना पड़
सकता है, लेकिन हमेशा अपना पोर्टफोलियो बनाते रहें।
•
होल्डिंग और सेलिंग की अवधारणा को समझें।
बचत करना हमेशा एक सुरक्षित विकल्प होता है। बचत में कोई जोखिम नहीं है। हालांकि, बचत में पैसे की कुछ खास बढ़ोतरी नहीं होती है। निवेश करके आप अपने पैसे को दोगुना करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं।