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निवेश पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन (विविधता) के फायदे और नुकसान

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कई निवेशक एक ही जगह अपना सारा पैसा निवेश कर देते हैं। इस कारण मौद्रिक हानि का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में निवेश करते समय बेहतर पोर्टफोलियो का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी होता है, ताकि इनवेस्टमेंट में रिस्क को कम किया जा सके।    

अगर आप अपनी एसेट्स को अलग अलग क्लास में निवेश करते हैं और किसी एक में आपको नुकसान होता है, तो आप अन्य क्लास के जरिये उस नुकसान की भरपाई कर सकते हैं। यही वजह है कि निवेश के समय आपको रिस्क मैनेजमेंट करना भी जरूरी है। 

हालांकि, निवेश का डाइवर्सिफिकेशन (विविधता) करने से फायदा ही होगा, यह भी जरूरी नहीं है। डाइवर्सिफिकेशन के फायदे और नुकसान दोनों हैं। इस आर्टिकल के जरिये हम बता रहे हैं कि आपको निवेश करते समय किन बातों का ध्यान रखना हैं। 

कैसे आप अपने इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो को मैनेज कर सकते हैं?

निवेश में संभावित जोखिम को कम करने के लिए इनवेस्टमेंट डाइवर्सिफिकेशन एक अच्छा तरीका है। इसके जरिये आप रिस्क प्रोफाइल के आधार पर अपने कुल निवेश को अलग अलग विकल्पों में बांट सकते हैं। अपनी रिस्क उठाने की क्षमता के अनुसार आप निर्धारित कर सकते हैं कि अपने निवेश को कहां और कितनी अवधि तक ​करना है। 

अगर आप बड़ा जोखिम उठाने में सक्षम हैं तो आप अपने निवेश का बड़ा हिस्सा हाई रिवॉर्ड एसेट्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं। वहीं, अगर आप जोखिम कम लेना चाहते हैं तो आपको अपने निवेश को बेहतर ढंग से डाइवर्सिफिकेशन करने की जरूरत है। 

निवेश में अपने रिस्क को कम करने के लिए आपको ऐसे एसेट्स की तलाश करनी चाहिए, जिन्होंने अपने अन्य पुराने परफॉर्मेंस ट्रेंड को दिखा रखा हो ( जरूरी नहीं कि ये एक लाइन या एक ​डिग्री में हो)।

निवेश के लिए विभिन्न इनवेस्टमेंट एसेट क्लासेस 

अपने निवेश के जोखिम को कम करने के लिए आप अपने पोर्टफोलियो का अलग अलग इनवेस्टमेंट एसेट क्लासेस में डायवर्सिफाई कर सकते हैं। डाइवर्सिफिकेशन के लिए इक्विटी इनवेस्टमेंट सबसे अच्छे विकल्प में से एक है। आप अपना इक्विटी में बड़े, छोटे अलग अलग तरीकों से निवेश कर सकते हैं। आप इक्विटी में सेक्टर, ऑपरेशन जैसे पैमाने के आधार पर पोर्टफोलियो का डाइवर्सिफिकेशन कर सकते हैं। इक्विटी के अलावा स्थायी आय के लिए फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स, फिक्स्ड डिपॉजिट, सरकारी बॉन्ड और डिबेंचर आदि अन्य एसेट क्लासेस में भी निवेश कर सकते हैं। ये सब कम जोखिम वाले हैं, लेकिन इनमें आपको इक्विटी के मुकाबले कम रिटर्न मिलता है। इनके अलावा आप गोल्ड, गोल्ड ईटीएफ और रियल एस्टेट जैसी अन्य एसेट क्लास में भी निवेश कर सकते हैं।

पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन के फायदे और नुकसान

पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन के फायदे

1. रिस्क मैनेजमेंट: निवेश में रिस्क मैनेजमेंट बेहद जरूरी है। आप विभिन्न इनवेस्टमेंट एसेट क्लासेस में निवेश कर अपने ​जोखिम को कम कर सकते हैं। आप इसे उदाहरण के तौर पर समझ सकते हैं, मान लीजिए कि आपके पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन का 50% इक्विटी में, सोने में 10%, डेब्ट फंड में 25% और सरकारी बॉन्ड में 15% है। अब अगर आपके शेयरों का मूल्य गिरता है, तो आपको केवल 50% का ही नुकसान उठाना होगा। (अन्य एसेट स्थिर होने की दशा में) वहीं, कई बार ऐसा भी होता है कि सभी इनवेस्टमेंट एसेट क्लासेस उम्मीद के मुताबिक परफॉर्मेंस नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति में बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन आपके जोखिम को कम कर सकता है और साथ ही रिटर्न भी बढ़ा सकता है। 

2. अपना वित्तीय लक्ष्य तय करें: निवेश के समय आपको अपने वित्तीय लक्ष्य को निर्धारित करना होता है। पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन से आपको अलग-अलग समय पर अलग-अलग इनवेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करने में मदद मिलती है। आपको अपना वित्तीय लक्ष्य के आधार पर इनवेस्टमेंट एसेट का चयन करना चाहिए। इसे उदाहरण से समझें तो जैसे अगर आपको अपने बच्चे की कॉलेज फीस भरनी है तो आप लॉन्ग टर्म इक्विटी में निवेश करके हाई रिटर्न पाने का रिस्क उठा सकते हैं। वहीं, अगर आपको अपने बच्चे की नर्सरी की फीस जमा करानी हो, तो आप शॉर्ट टर्म इनवेस्टमेंट के बारे में सोच करते हैं। जिसमें स्थायी आय हो और जोखिम भी कम हो।

3. ग्रोथ की समीक्षा: पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन के माध्यम से आपको विभिन्न क्लासेस में हो रहे उतार-चढ़ाव के बारे में पता चलता हैं। उदाहरण के लिए, कोविड वैक्सीनेशन के चलते आप अगर फार्मा कंपनियों में निवेश करते हैं तो आपको अच्छा रिटर्न मिल सकता है। 

आप मिड-कैप या स्मॉल-कैप कंपनियां के मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर शेयरों में वृद्धि का फायदा उठा सकते हैं। 

पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन के नुकसान

1. अधिक निवेश, अधिक गलतियां: पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन के फायदे के साथ आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। अधिक निवेश के चक्कर में हम कई बार ग​लतियां कर बैठते हैं। पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन में से एसेट का सही चयन करना आसान काम नहीं। ऐसे में बिना सोचे समझे एक से अधिक निवेश करना भी जोखिमभरा हो सकता है। ऐसा करना आपके लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है। 

2. सभी एसेट्स के लिए अलग नियम: आपको ध्यान रखना चाहिए कि सभी एसेट्स के अपने नियम कायदे होते हैं। उनके काम करने के तौर तरीके भी अलग होते हैं। ऐसे में अगर आप बिना रिसर्च और उस एसेट की जानकारी के बिना निवेश करते हैं, तो आपको भारी नुकसान हो सकता है। 

3. टैक्स को समझें: जैसा कि आप जानते हैं कि हर एक एसेट क्लासेस अलग अलग वर्क एनवायरनमेंट में काम करते हैं, उसी तरह उन पर अलग अलग टैक्स लागू होता है। अगर आप बिना योजना के निवेश करेंगे तो आपको हाई टैक्स चुकाना पड़ सकता है, इससे आपको रिटर्न भी कम मिलेगा। 

4. निवेश की लागत: हर एसेट क्लास में निवेश का अलग अलग चार्ज होते हैं। ऐसे में पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन के समय इस बात का ध्यान देना जरूरी है। चार्जेज अधिक होने से आपका रिटर्न भी प्रभावित हो सकता है। 

5. कैपिंग ग्रोथ: वैसे तो डाइवर्सिफिकेशन से आप अपने जोखिम को कम कर सकते हैं, लेकिन कई बार कुछ एसेट्स अच्छे परफॉर्मेंस करते हैं और हम मौका गंवा देते हैं। 

पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन के फायदे और नुकसान

फायदे नुकसान
रिस्क मैनेजमेंट
अपना वित्तीय लक्ष्य तय करना
ग्रोथ की समीक्षा
अधिक निवेश से अधिक गलतियां
हर एसेट के अलग नियम
टैक्स और निवेश की लागत
कैप्स ग्रोथ

निष्कर्ष

पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन के कई फायदे भी निवेशकों को मिल सकते हैं। लेकिन, अगर बिना योजना के निवेश किया जाता है तो उसमें नुकसान होने की भी संभावना है। एक ही एसेट क्लास में पूरा निवेश करने से जोखिम का खतरा बढ़ जाता है, जबकि पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन से हम अलग अलग एसेट क्लास में निवेश कर रिस्क को कम कर सकते हैं। ऐसे में निवेश के समय पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन करना अच्छा है, लेकिन इसके साथ ही आपको सतर्क रहना भी जरूरी है। आपको किसी भी एसेट की पूरी जानकारी होने के बाद ही निवेश करना चाहिए। 

आपको अपने निवेश के लक्ष्य को निर्धारित करने के बाद एसेट क्लास की पूरी तरह से जांच करनी चाहिए। आपको उसमें होने वाले फायदे और नुकसान दोनों की जानकारी होना आवश्यक है। आप निवेश की लागत से अवगत रहें और पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन के समय सावधान रहें। इससे आप इक्विटी, डेब्ट, फिक्स्ड और लिक्विड इन्वेस्टमेंट का अच्छा मिक्सअप कर सकते हैं। 

अपने निवेश में डाइवर्सिफिकेशन के दौरान आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए आप वेल्थडेस्क के माध्यम से निवेश कर सकते हैं। वेल्थडेस्क सेबी से रजिस्टर्ड प्लेटफार्म है। यहां आप आसानी से अपने निवेश के लक्ष्य और जरूरत के हिसाब से अपना पोर्टफोलियो तैयार कर सकते हैं। वेल्थडेस्क के माध्यम से वेल्थबास्केट्स में निवेश करने से आपको सही निवेश करने का एक अच्छा मौका मिलता है। 

सामान्य प्रश्न

डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो के मायने क्या है?

पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन से मतलब है कि पोर्टफोलियो में अलग अलग इन्वेस्टमेंट एसेट्स होती हैं, जिसमें कैश, स्टॉक, बांड, स्थायी इनकम इंस्ट्रूमेंट्स, म्यूचुअल फंड, फंड, प्रॉपर्टी, गोल्ड आदि शामिल हैं।

एक अच्छा पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन किसे कहेंगे?

एक अच्छा पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन उसे कहेंगे, जो जोखिम को कम करता है और रिटर्न को बढ़ाता है। यह अलग अलग एसेट क्लासेस में निवेश करके किया जा सकता है।

डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो बनाने का क्या मतलब है?

एक पोर्टफोलियो का डाइवर्सिफिकेशन एक ही पोर्टफोलियो में अलग अलग एसेट क्लासेस में निवेश को दर्शाता है। इससे निवेशक अपने निवेश के जोखिम को कम करते हुए हाई रिटर्न पा सकते हैं।

क्या डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो करना अच्छा है?

पोर्टफोलियो में डाइवर्सिफिकेशन करने से निवेश में होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। हालांकि, बाजार में हो रहे उतार चढ़ाव से एसेट क्लास प्रभावित भी हो सकती है।

आपको कैसे पता चलेगा कि आपका पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाइड है या नहीं?

यदि आपके पोर्टफोलियो में शेयर, बॉन्ड, कैश आदि शामिल हैं, तो आपका पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाइड है।

निवेश पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन (विविधता) के फायदे और नुकसान

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