शेयर बाजार में ‘सेक्टर’ से क्या मतलब है?
भारतीय शेयर बाजार का विस्तार दिन-ब-दिन होता जा रहा है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में 1900 से अधिक कंपनियां लिस्टेड हैं। शेयर बाजार में ये कंपनियां 11 सेक्टर में विभाजित हैं। भारतीय शेयर बाजार में कई उद्योग समूह भी शामिल हैं। ये सेक्टर्स शेयर बाजार में कंपनियों को उनके काम के आधार पर बांटते हैं। इस आर्टिकल में हम भारतीय इक्विटी स्पेस के साथ शेयर बाजार के विभिन्न सेक्टरों की जानकारी साझा कर रहे हैं।
शेयरों का विभाजन
किसी भी स्टॉक में पैसा निवेश करने से पहले निवेशकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, एक लाइब्रेरी में किताबों का मैनेजमेंट इस तरह से किया जाता है कि कोई भी अलमारियों पर लिखे शीर्षक और क्षेत्र के जरिये आसानी से किताब खोज सकता है। ठीक इसी तरह शेयरों को भी अलग-अलग सेक्टर में बांटा जाता है, ताकि निवेशक अपनी रुचि और अपनी पसंद के मुताबिक शेयर का चयन कर सकें। सेक्टर की मदद से निवेशक यह जान सकते हैं कि उनको किस उद्योग में निवेश करना चाहिए और किसमें नहीं। उदाहरण के लिए, महामारी के समय में जब हवाई यात्रा पर रोक लगाई जाती है, उस समय निवेशकों का रुझान पर्यटन या विमानन क्षेत्रों में नहीं होगा।
शेयर बाजार में विभिन्न सेक्टर्स कौन-कौन से हैं?
भारतीय शेयर बाजार में नीचे दिए गए प्रमुख सेक्टर हैं, हालांकि ये सिर्फ यहां तक सीमित नहीं हैं।
- कृषि और कमोडिटी
- विमानन
- ऑटोमोबाइल
- बैंक और वित्तीय सेवाएं
- इलेक्ट्रिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स
- फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG)
- गैस और पेट्रोलियम
- सूचना प्रौद्योगिकी
- इंफ्रास्ट्रक्चर
- फार्मास्युटिकल्स
- रियल एस्टेट
- दूरसंचार
- कपड़ा
- पर्यटन
भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख सेक्टर कौनसे हैं?
भारतीय शेयर बाजार में कुछ प्रमुख सेक्टरों में कई नामी कंपनियां तो कुछ कम मशहूर कंपनियां हैं। निवेशकों को इन सेक्टर्स की जानकारी होनी चाहिए। हम आपको शेयर बाजारों के विभिन्न सेक्टर में से चार प्रमुख सेक्टरों के बारे में बता रहे हैं।
1. ऑटोमोबाइल सेक्टर
शेयर मार्केट में ऑटोमोबाइल सेक्टर का हमेशा से ही दबदबा रहा है। इस सेक्टर में कार निर्माता के साथ-साथ कमर्शियल वाहनों, दोपहिया, तीन-पहिया और ट्रैक्टर के निर्माता भी शामिल हैं। भारत की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था होने की वजह से ट्रैक्टर और कमर्शियल वाहन निर्माताओं की भारतीय निवेश ग्रुप में अहम भूमिका है।
उदाहरण:
हालांकि, अभी भारतीय बाजार में टेस्ला जैसी प्योर-प्ले इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता की कमी है। लेकिन, आने वाले समय में इसे भी देखा जा सकता है।
2. बैंक और वित्तीय सेक्टर
ऑटोमोबाइल सेक्टर के अलावा बैंकिंग क्षेत्र भी शेयर मार्केट का बड़ा हिस्सा है। शेयर मार्केट में कंपनियों का बड़े स्तर पर लेनदेन (cash flow) शीर्ष बैंकों द्वारा किया जाता है।
लगभग हर दूसरी कंपनी अपनी पूंजी संरचना के प्रबंधन के लिए बैंकों से कर्ज लेती है। गैर-वित्तीय कंपनियों के मुनाफे और वित्तीय कंपनियों के मुनाफे में अंतर के पीछे भी यही कारण है। शेयर मार्केट में निवेश की सेक्टोरल अप्रोच से इस अंतर को समझने में मदद मिलती है।
शेयर मार्केट के इस सेक्टर में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFCs), एसेट्स प्रबंधन कंपनियां (AMCs), रेटिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट & इंश्योरेंस प्लेयर्स और पब्लिक एवं प्राइवेट बैंक शामिल हैं। इसके अलावा गैर-बैंकिंग बैंकों के साथ एनबीएफसी बैंक भी शामिल है।
जहां, AMC म्यूचुअल फंड का ध्यान रखती है। वहीं, रेटिंग एजेंसियां शोध सामग्री से आय में विविधता लाते हुए क्रेडिट रेटिंग पर काम करती हैं। बीमा कंपनियां कुछ चुनिंदा लोगों के नुकसान को कवर करने के लिए बड़े स्तर पर छोटे फंड जमा करती हैं।
उदाहरण:
शेयर मार्केट में इस सेक्टर को बारीकी से ट्रैक करने की जरूरत है। आगामी दिनों में बीमा क्षेत्र और फिनटेक क्षेत्र में विस्तार देखने को मिल सकता है।
3. FMCG सेक्टर
FMCG कंपनियां नियमित इस्तेमाल किए जाने वाले उत्पादों का निर्माण करती हैं। रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाले उत्पादों के चलते FMCG सेक्टर स्थिर आय की गारंटी देता है। इससे स्थिर आय के साथ मजबूत रिटर्न मिलता है।
उदाहरण:
FMCG सेक्टर पर मंदी की मार बेहद कम देखने को मिलती है। बुरी अर्थव्यवस्था की स्थिति में भी FMCG कंपनियों द्वारा उत्पादन किया जाता है और उत्पादों को बेचा जाता है।
4. दवा उद्योग (फार्मास्युटिकल्स सेक्टर)
शेयर मार्केट में दवा उद्योग यानी फार्मास्युटिकल सेक्टर भी अहम सेक्टरों में से एक है। फार्मा उद्योग द्वारा किसी गंभीर बीमारियों के लिए टीके और दुर्लभ बीमारियों के लिए दवाइयां बनाने का काम किया जाता है। कोरोना महामारी के बाद से इस उद्योग पर निवेशकों का विशेष फोकस है। दुनिया भर के लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा होने के कारण इस उद्योग को कड़ाई से विनियमित किया जाता है।
उदाहरण:
फार्मास्युटिकल कंपनियों को मूल्य निर्धारण के लिए खास विशेषाधिकार मिला हुआ है। हालांकि, उनके गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार को देखते हुए कई नियम भी बनाए गए हैं।
सेक्टर को छोटे हिस्सों में बांटना
शेयर बाजार में कई सेक्टर होते हैं और ये सेक्टर भी कई और छोटे हिस्सों में विभाजित होते हैं। सेक्टर समान व्यवसाय मॉडल के आधार पर कई शेयरों का समूह होता है। इससे निवेशकों को विशेष स्टॉक की पहचान करने में आसानी होती है। जरूरत से ज्यादा जानकारी लेने के फेर में कई बार निवेशकों का समय बर्बाद होता है। ऐसे में ये सेक्टर्स निवेशकों को सही स्टॉक चुनने में काफी मदद करते हैं। कई बार उस सेक्टर में छिपे हुए ऐसे क्षेत्रे के बारे में भी पता चलता है, जिसे अब तक हम नहीं जानते थे।वेल्थडेस्क का सेक्टोरल पोर्टफोलियो रिस्क वेटेड अप्रोच पर आधारित है। इससे किसी भी कंपनी को धन आवंटित करते समय होने वाले अवांछित प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। यह तरीका निवेशकों के लिए जोखिम पैदा करता है। वहीं, वेल्थबास्केट्स को SEBI से पंजीकृत पेशेवर मैनेज करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
शेयर बाजार में मौजूद सेक्टर्स की कोई निश्चित संख्या नहीं है। इस आर्टिकल में सिर्फ मुख्य सेक्टर्स की जानकारी दी गई है। नई कंपनियां विकसित होने के साथ ही इनकी संख्या भी बढ़ जाती है।
इसका कोई सीधा और सरल जवाब नहीं है। एक सेक्टर जो अभी कम प्रदर्शन कर रहा है, वो भविष्य में उभर भी सकता है। कुछ सेक्टर कम समय में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। कुछ लंबे समय में अच्छा प्रदर्शन करने लगते हैं। निवेश खुद की जोखिम लेने की क्षमता और समय अवधि पर आधारित होना चाहिए।
वेल्थडेस्क के जरिए जोखिम का ध्यान रखने के लिए पोर्टफोलियो की लगातार निगरानी रखी जाती है। इसके अलावा जोखिम में विविधता लाने के लिए अलग-अलग सेक्टर में निवेश कर सकते हैं।