वित्तीय बाजार में रोजाना होने वाले उतार-चढ़ाव से निवेशक अच्छी तरह वाकिफ हैं। फंड के लाल होने पर आपकी क्या प्रतिक्रिया होती है और आप क्या कदम उठाते हैं, इन बातों से पता चलता है कि आप किस तरह के निवेशक हैं। इक्विटी बाजार अस्थिर है। अगर आपको पता है कि बाजार में किन कारणों से उतार-चढ़ाव आते हैं और उसमें गिरावट क्यों होती है, तो काफी हद तक आपकी चिंता कम हो सकती है।
आपको यह पता लगाना होगा कि आपका फंड किस तरह प्रदर्शन कर रहा है और अगर मुनाफा नहीं मिल रहा है तो स्टॉक मार्केट (शेयर बाजार) में एसआईपी को बंद कर देना चाहिए? अगर बाजार नेगेटिव मूड में हो, रुपये का मूल्य गिर जाए, कच्चा तेल महंगा हो जाए, कोई महामारी आ जाए या ऐसा ही कुछ हो, तो क्या होगा? जब आप एसआईपी के जरिए सीधे तौर पर इक्विटी में निवेश करते हैं और बाजार में गिरावट आए, तो वो समय काफी चिंताजनक और नाजुक होता है। मनोवैज्ञानिक तौर पर इसे स्वीकार करना एक चुनौती भरा काम है। ऐसे समय में हम सिर्फ अपना बेहतर करने की कोशिश कर सकते हैं।
एसआईपी निवेश कैसे काम करता है ?
इसे एक उदाहरण की मदद से समझते हैं। मान लीजिए आप हर महीने 40,000 रुपये कमाते हैं। इसमें से हर महीने 10% हिस्सा एसआईपी म्यूचअल फंड में निवेश के लिए रखते हैं। जून 2005 से आपने हर महीने XYZ में 4000 रुपये का निवेश करना शुरू किया। बतौर निवेश आप हर महीने XYZ फंड में 4000 रुपये डाल रहे हैं। एसआईपी का सबसे बड़ा फायदा इसकी कंपाउंडिंग ताकत है।
समय के साथ, आपने जो 4000 रुपये हर महीने एसआईपी में निवेश किया, वो एक बड़ी राशि बन जाएगी। जून 2005 से जून 2015 के बीच आपने XYZ फंड में 120 बार निवेश किया, जिसका कुल मूल्य आज 4.8 लाख रुपये हो जाएगा। (120*4000)
अगर आप इस निवेश पर 12% के रिटर्न की गणना करते हैं, तो यह बढ़कर 9.2 लाख रुपये हो जाएगा, जो कि शुरुआती निवेश का लगभग दोगुना है। वहीं, अगर आप इसमें 6% अनुमानित मुद्रास्फीति दर (प्रोजेक्टेड इंफ्लेशन रेट) को एडजस्ट करते हैं, तो अभी आपकी रकम बढ़कर 6.6 लाख हो जाएगी, जो कि निवेश किए गए मूलधन से 50% ज्यादा है।
अगर बाजार में उतार-चढ़ाव है तो एसआईपी निवेश को कैसे संभालें?
बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान एसआईपी निवेश के लिए निवेशकों का चिंतित होना स्वाभिक है। इस दौरान एसआईपी निवेश को रोकना या वापस लेना सबसे आम प्रतिक्रिया होती है। हालांकि, सबसे ज्यादा ध्यान रखने वाली बात है आपका लक्ष्य। अगर आपका लक्ष्य लंबे समय में ज्यादा धन कमाना है तो बाजार में छोटे-मोटे बदलाव से परेशान नहीं होना चाहिए।
इसे और बेहतर ढंग से एक उदाहरण के जरिए समझते हैं। मान लीजिए जनवरी में आपका शुरुआती एसआईपी निवेश 1000 रुपये था। मार्च तक यही रहा। अप्रैल में मूल्य गिरकर 750 रुपये हो गया। यानी अब आपके स्टॉक का मूल्य आपके निवेश से कम है, जिससे आपको घाटा हो रहा है। इस स्थिति में आप व्यावहारिक तौर पर दो चीजों पर विचार करेंगे-
- स्टॉक को बेच दें
- इसे होल्ड रखें और एसआईपी को औसत खरीदारी मूल्य के नीचे आने दें
अब मान लीजिए अगले 2 महीने तक एसआईपी का मूल्य 750 रुपये ही रहा और जुलाई में बढ़कर 2000 रुपये तक पहुंच गया।
यानी कि आपके निवेश पर रिटर्न 100% हो गया। अब सोचिए, अगर उस समय आपने इसे बेच दिया होता तो क्या आप इतना मुनाफा कमा पाते? नहीं। ऐसे में यह समझें कि निवेश बाजार में जोखिम हैं। अगर आप लंबे समय के रिटर्न की तलाश में हैं तो इससे छुटकारा पाना सही विकल्प नहीं है। इससे इक्विटी निवेश की गोल्ड जैसी भौतिक संपत्तियों से तुलना में मदद मिलेगी और शेयर बाजार में एसआईपी को रोकने या बाजार में गिरावट होने पर निवेश करने पर होने वाले प्रभावों को समझ सकेंगे।
जब शेयर बाजार गिरता है
अगर आपने 35,000 रुपये प्रति 10 ग्राम की कीमत से सोना खरीदा और उसे 30,000 रुपये प्रति 10 ग्राम की दर से बेचते हैं तो आपको 5,000 रुपये का नुकसान होगा। हालांकि, अगर आप सोने की कीमत 40,000 रुपये तक बढ़ने तक इंतजार करते हैं तो इसे 5,000 रुपये के मुनाफे के साथ बेच सकते हैं।
वहीं, जब कीमत 30,000 रुपये प्रति 10 ग्राम है तो सोना बेचने की बजाय आप 10 ग्राम और खरीद लेते हैं, फिर 40,000 रुपये कीमत होने पर आप 20 ग्राम सोना बेचकर 15,000 रुपये कमा सकते हैं।
इसी उदाहरण को लें और अगर इक्विटी की कीमत में गिरावट आ रही है तो आपको अपने शेयरों को निकालने के बजाय अधिक निवेश करना चाहिए। यानी कि जब बाजार में गिरावट हो तो एसआईपी को बंद नहीं करना चाहिए।
एसआईपी के तहत नियमित अंतराल पर समान राशि में निवेश किया जाता है, इसलिए बाजार में गिरावट के दौरान फंड की NAV (नेट एसेट वैल्यू) कम हो जाती है और आपको अधिक यूनिट मिलती है। क्योंकि एक फंड का मूल्य उसके NAV के उत्पाद और उसमें मौजूद यूनिट्स की संख्या (यानी, NAV x यूनिट्स की संख्या) को निर्धारित करता है। आपके पास जितनी ज्यादा यूनिट्स होगी, बाजार में तेजी आने पर NAV बढ़ेगी और आपके फंड का मूल्य भी उतना ही ज्यादा होता जाएगा।
क्या बाजार में गिरावट के दौरान निवेश करना चाहिए?
अपने इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेश पर ज्यादा रिटर्न पाने के लिए, एसआईपी निवेश को कभी भी बाजार में गिरावट के दौरान रोकना नहीं चाहिए। अगर संभव हो तो कम औसत मूल्य निर्धारण (Lower Average Pricing) का लाभ उठाने के लिए ज्यादा यूनिट खरीदने पर अतिरिक्त निवेश करें।
निवेश के बाद फंड में आ रही अस्थिरता को सहना मुश्किल हो सकता है। एसआईपी खत्म होता नजर आता है और उतार-चढ़ाव के दौरान दिमाग में इसे वापस करने का ही ख्याल आता है। व्यवहारिक वैज्ञानिकों (Behavioral Scientist) के मुताबिक, निवेशक मुनाफे के मुकाबले नुकसान से ज्यादा प्रभावित होते हैं।
जब बाजार में मंदी होती है, तो लोग आगे के नुकसान से बचने के लिए एसआईपी निवेश को रोक देते हैं या निवेश की गई राशि को निकाल लेते हैं। लेकिन, अगर आप लंबी पारी के निवेशक हैं, तो अस्थिरता से दोस्ती करें।
आइए, दो निवेशकों का उदाहरण लेते हैं, जिन्होंने
शेयर बाजार में एक ही एसआईपी में निवेश किया था-
- निवेशक ए ने 1 जनवरी 2003 को शेयर बाजार निफ्टी इंडेक्स में 5,000 रुपये की मासिक एसआईपी शुरू की और इसे जारी रखा। 8 अक्टूबर, 2018 को उसका निवेश मूल्य/कॉर्पस करीब 41 लाख हो गया, जबकि उसने इस अवधि के दौरान केवल 9.50 लाख रुपये ही निवेश किए।
- दूसरी तरफ, निवेशक बी ने 1 जनवरी, 2003 को एसआईपी शुरू की, लेकिन वित्तीय संकट के कारण इसे 2008 में रोक दिया। 8 अक्टूबर 2018 तक इसका निवेश मूल्य/कॉर्पस करीब 21 लाख रुपये हो गया, जबकि उसने सिर्फ 3.45 लाख रुपये निवेश किए।
हम इन दोनों निवेशकों की तुलना करते हैं तो मान सकते हैं कि निवेशक ए ने एसआईपी निवेश जारी रखते हुए मंदी के दौरान कुछ और लाख का निवेश किया और करीब 20 लाख रुपये का अतिरिक्त लाभ कमाया।
जब शेयर बाजार गिरता है, तो अतिरिक्त स्टॉक खरीदना एक छिपा हुआ लाभ हो सकता है। हां, सही पढ़ा। जब शेयर बाजार गिरता है, तो अवसरवादी निवेशक जानते हैं कि मंदी (Bear Market) में ज्यादा यूनिट्स हासिल करना या अतिरिक्त फंड का निवेश करना और जब बाजार में तेजी हो तो उसे बेचना सबसे बेहतर होता है। अपने एसेट अलोकेशन पर टिके रहें और बाजार की गिरावट का फायदा उठाएं। याद रखें कि यह मंदी (Bear Market) हमेशा के लिए नहीं रहने वाली है। आपको बस एक अच्छी तरह से डाविर्सिफाई की गई निवेश रणनीति बनानी होगी।
निष्कर्ष
शेयर बाजार में गिरावट के दौरान आपको अपने एसआईपी निवेश से छुटकारा पाने से बचना चाहिए। जब बाजार में गिरावट भयावह होने की आशंका हो, तो एक गहरी सांस लें और याद रखें कि यह वक्त गुजर जाएगा। यह लंबे समय के लिए आपकी निवेश रणनीति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू हो सकता है।आप वेल्थडेस्क के जरिए वेल्थबास्केट के पेशेवरों द्वारा मैनेज किए गए पोर्टफोलियो में निवेश कर सकते हैं और एकमुश्त (Lump Sum) या एसआईपी निवेश से लाभ उठा सकते हैं। एक निवेशक को ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए तब निवेश करना चाहिए, जब शेयर बाजार में गिरावट हो।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
जब बाजार की परिस्थितियां अस्थिर हो जाती हैं, तो आप अपने एसआईपी निवेश को रोक सकते हैं या निकाल सकते हैं। दूसरी ओर, एसआईपी का लाभ तभी मिलेगा जब आप बाजार की परिस्थितियों से आजाद होकर नियमित रूप से निवेश करेंगे।
गिरते बाजार से लाभ उठाने के लिए शॉर्ट पोजीशन को कई तरीकों से लिया जा सकता है, जिसमें शॉर्ट सेलिंग, इनवर्स ईटीएफ के शेयर खरीदना, या स्पेक्युलेटिव पुट ऑप्शन खरीदना शामिल हैं, जिनकी मांग घटने के साथ मूल्य में बढ़ोतरी होगी।
एसाआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय बाजार का जोखिम रहता है। दूसरी ओर, एसआईपी के जरिए जोखिम को फंड मैनेजर और फंड हाउस द्वारा मैनेज और कम किया जा सकता है।