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ईटीएफ और स्टॉक में से किसे चुनना चाहिए?

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निवेश के दौरान अक्सर ये सवाल मन में आता है कि ईटीएफ या स्टॉक में से क्या सही रहेगा। अगर आप निवेश के लिए ईटीएफ या स्टॉक में से किसी एक को चुनना चाहते हैं, तो सबसे पहले इनकी विशेषताएं और खासियत के बारे में जानना होगा। ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) और व्यक्तिगत स्टॉक (शेयर), दोनों स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड करते हैं लेकिन जोखिम कारक, विविधता, सिक्योरिटी (प्रतिभूतियों) की संख्या जैसी कुछ विशेषताएं इन्हें एक-दूसरे से अलग बनाती हैं। 

इन दोनों का विस्तार से विश्लेषण करने पर निवेशकों को स्टॉक मार्केट और ईटीएफ में निवेश के बारे में पूरी जानकारी मिल जाएगी। 

ईटीएफ बनाम स्टॉक

किसी स्टॉक में निवेश करने पर निवेशक को उस कंपनी की कुछ हिस्सेदारी मिल जाती है। हिस्सेदारी का दायरा कंपनी के शेयरों की संख्या पर निर्भर करता है। एक कंपनी स्टॉक एक्सचेंज पर अपने शेयरों को लिस्ट या सूचीबद्ध करके कारोबार के लिए पैसा इकट्ठा कर सकती है। वहीं, एक निवेशक अपने डीमैट अकाउंट के जरिए कंपनी के शेयर बेच और खरीद सकता है।

इक्विटी ईटीएफ का मतलब एक्सचेंज ट्रेडेड फंड है, जिसमें स्टॉक, फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज, कमोडिटी और अन्य सिक्योरिटी में निवेश किया जाता है। वहीं, फंड की व्यक्तिगत सिक्योरिटी को फंड की होल्डिंग कहा जाता है। एक्सचेंज पर ईटीएफ का कारोबार सामान्य शेयर या स्टॉक की तरह ही होता है। एक निवेशक शेयर की तरह ईटीएफ को भी ब्रोकर (दलाल) के जरिए खरीद और बेच सकता है।

ईटीएफ और स्टॉक के फायदे

शेयर बाजार में निवेश करने से ढेर सारे फायदे होते हैं। स्टॉक में निवेश करने पर निवेशकों को डिविडेंड से कमाई होती है। इसके अलावा कंपनियां अपने शेयरों को बाजार मूल्य से ज्यादा दाम पर बाय-बैक (पुनः खरीदना) भी करती हैं। आमतौर पर शेयर में लंबे समय तक निवेश करने पर निवेशकों को अच्छा फायदा होता है।

ईटीएफ में निवेश करने के भी कई फायदे हैं। ईटीएफ निवेशकों को विविधता देता है। ईटीएफ के जरिए अलग-अलग सिक्योरिटी के एक समूह में निवेश किया जाता है, इसलिए इसमें जोखिम कम होता है। ईटीएफ का मूल्य समूह में मौजूद सिक्योरिटी के करीब होता है, इसलिए ईटीएफ की कीमत में उतार-चढ़ाव की संभावना बहुत कम होती है। स्टॉक की तरह ईटीएफ में भी डिविडेंड और कैपिटल एप्रिसिएशन के रूप में रिटर्न मिलता है।

ईटीएफ और स्टॉक में क्या अंतर है

एक्सचेंड ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) से कई सिक्योरिटी में निवेश होता है। जबकि, स्टॉक के जरिए किसी कंपनी के व्यक्तिगत शेयरों में निवेश होता है। शेयर बाजार निवेश को व्यक्तिगत निवेशक मैनेज करते हैं। वहीं, दूसरी ओर ईटीएफ में विविधता के चलते जोखिम कम होता है और ईटीएफ निवेशों को पेशेवर मनी मैनेजर मैनेज करते हैं।

ईटीएफ और स्टॉक में कुछ प्रमुख अंतर:

विविधता

ईटीएफ में कई सिक्योरिटीज होती हैं, जिससे निवेशकों को स्टॉक की तुलना में ज्यादा विविधता मिलती है। शेयर बाजार में एक निवेशक किसी सेक्टर के एक स्टॉक में निवेश कर सकता है। दूसरी ओर, एक ईटीएफ के जरिए कई सिक्योरिटी में निवेश किया जा सकता है, जिससे निवेशकों को विविधता मिलती है।

जोखिम

ईटीएफ आमतौर पर शेयर से ज्यादा सुरक्षित होते हैं। क्योंकि ईटीएफ में विविधता होने से निवेशक का जोखिम कम हो जाता है। उदाहरण के लिए, कुछ सिक्योरिटी में अगर नुकसान हुआ है तो उसकी भरपाई दूसरी सिक्योरिटी में हुए लाभ से हो जाती है। इसके विपरीत किसी व्यक्तिगत शेयर में जोखिम ज्यादा होता है। क्योंकि अगर उस शेयर का मूल्य लगातार गिरता जाए तो निवेशक को नुकसान ही झेलना पड़ता है।

पेशेवर मैनेजर

ईटीएफ निवेश का प्रबंधन पेशेवर मैनेजर करते हैं, जबकि लंबी अवधि के स्टॉक निवेश को व्यक्तिगत रूप से ही मैनेज किया जाता है। ईटीएफ में पेशेवर मैनेजर निवेशकों को बताते हैं कि अपनी सिक्योरिटी को कब बेचना या खरीदना है, जिससे अधिकतम लाभ हो सके।

लागत

ईटीएफ निवेश पेशवर मैनेजर की देखरेख में होते हैं, इसलिए उनकी फीस की लागत निवेशकों को देनी पड़ती है। दूसरी ओर, स्टॉक या शेयर में निवेश करना है तो ये लागत शून्य हो जाती है। हालांकि, निवेशक ईटीएफ निवेश में भी दलाली और अन्य शुल्क जैसे खर्चों को बचा सकते हैं।

टैक्स

ईटीएफ                                                                     कई कारकों के आधार पर अलग-अलग टैक्स दरें
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन     अधिकतम टैक्स दर 15%
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन        इंडेक्सेशन के बिना 10% या इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20% लाभ अगर एक लाख से ज्यादा हो तो 10% (सेस अतिरिक्त), कोई इंडेक्सेशन नहीं
डिविडेंड   7.5% कई कारकों के आधार पर अलग-अलग टैक्स दरें

क्या ईटीएफ स्टॉक से बेहतर हैं?

ईटीएफ बेहतर निवेश हो सकता है क्योंकि इसके औसत रिटर्न में मामूली उतार-चढ़ाव होता है। ईटीएफ किसी भी स्टॉक रिटर्न के जितना ही रिटर्न दे सकते हैं। स्टॉक निवेशक के लिए बहुत ज्यादा रिटर्न की स्थिति नहीं होती, इसलिए ईटीएफ निवेश के लिए पसंदीदा विकल्प बन जाता है।

जब स्टॉक ड्राइवर (शेयर के आंकड़ों) की गणना करना मुश्किल हो जाता है तब ईटीएफ या स्टॉक में निवेश करने का अलग परिदृश्य बन जाता है। ऐसी स्थिति में निवेशक वो शेयर नहीं चुन पाता जो उस सेक्टर में लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहा हो। ईटीएफ में निवेश करने से इस जोखिम में विविधता आती है और बेहतर रिटर्न मिलता है।

जिस सेक्टर में व्यक्तिगत स्टॉक रिटर्न में ज्यादा अस्थिरता है, वहां स्टॉक मार्केट ईटीएफ निवेश के लिए बेहतर विकल्प माना जाता है। ऐसी स्थिति में ईटीएफ विविधता के जरिए जोखिम को कम कर देता है और निवेशक को स्थिर रिटर्न मिलता है। कुछ ईटीएफ चक्रीय सेक्टर (Cyclical sector) की कंपनियों में निवेश करते हैं, इससे उद्योग में तेजी के दौरान निवेशकों को निवेश का अच्छा मौका मिल जाता है।

निवेशक ऊपर दिए गए बिंदुओं के आधार पर अपने निवेश का सही विकल्प चुन सकते हैं। ये हैं भारत के पिछले पांच सालों में सबसे अच्छे ईटीएफ के कुछ उदाहरण: 

फंड का नाम                          5 साल का रिटर्न (%)          मौजूदा एयूएम (करोड़ में)
एचडीएफसी इंडेक्स फंड            15.94% 2323.93
निप्पोन इंडिया इंडेक्स फंड           15.92% 166.48
टाटा इंडेक्स फंड                         15.82% 85.15
एलआईसी एमएफ ईटीएफ-सेंसेक्स     15.36% 35.96
आईडीएफसी निफ्टी फंड                 15.26% 326.26

(स्रोत: Moneycontrol)

क्या स्टॉक ईटीएफ से बेहतर हैं?

स्टॉक में लंबे समय तक निवेश करने पर बेहतर रिटर्न मिलता है। जब किसी सेक्टर के रिटर्न में विचलन ज्यादा होता है तो ईटीएफ की तुलना में स्टॉक मार्केट निवेश से बेहतर रिटर्न मिल सकता है। हालांकि, खास बात ये है कि निवेशक को ईटीएफ स्टॉक से अच्छा प्रदर्शन करने वाली सिक्योरिटी में निवेश करना होता है।

एक पेशेवर स्टॉक मार्केट निवेशक शोध करके ये विश्लेषण करता है कि किस सेक्टर की किस कंपनी में बेहतर रिटर्न मिलेगा, इसके बाद वह निवेश करता है। यह पता करना जरूरी है कि वो कंपनी अपने निवेशकों को लगातार रिटर्न दे रही है और आने वाले सालों में वो सेक्टर अच्छा प्रदर्शन करेगा या नहीं। ऐसे निवेशकों को निवेश मैनेजरों की जरूरत नहीं पड़ती, इससे उनकी ये लागत बच सकती है।

भारत में कुछ ऐसे शेयर हैं, जिन्होंने लंबे समय तक अपने निवेशकों को अच्छे रिटर्न दिए हैं। इनमें से कुछ लॉन्ग-टर्म स्टॉक (एनएसई 50) यहां दिए गए हैं:

कंपनी का नाम                                                           5 साल का एब्सोल्यूट रिटर्न (%)
बजाज फाइनेंस 573.7%
टाटा कंज्यूमर 507.5%
बजाज फिनसर्व 493.7%
टाइटन 359.5%
रिलायंस इंडस्ट्रीज                                                            344.7%

(स्रोत: Equitymaster)

निष्कर्ष

ईटीएफ या शेयर में निवेश का विचार करने के लिए निवेशक ऊपर दिए गए कारकों के आधार पर अपनी पसंद चुन सकते हैं। वेल्थडेस्क, सेबी से पंजीकृत पेशेवर सलाहकारों द्वारा निर्मित पोर्टफोलियो के जरिए निवेशकों को भारत में अच्छे लॉन्ग-टर्म स्टॉक और ईटीएफ में निवेश करने का विकल्प देता है। लॉन्ग टर्म स्टॉक और ईटीएफ के कुछ फायदे तो कुछ नुकसान भी हैं। निवेशकों का उद्देश्य निवेश से जुड़े जोखिमों को सीमित/प्रबंधित करके अपने स्टॉक मार्केट निवेश या ईटीएफ निवेश पर रिटर्न बढ़ाने पर होना चाहिए।

सामान्य प्रश्न

क्या ईटीएफ स्टॉक से ज्यादा सुरक्षित हैं?

ईटीएफ निवेश कई मायनों में स्टॉक निवेश से ज्यादा सुरक्षित होते हैं। ईटीएफ कम लागत वाली निवेश स्कीम होती है, जिन्हें पेशवेर लोग मैनेज करते हैं। ईटीएफ निवेशकों को विविधता के विकल्प भी देते हैं, जिससे जोखिम कम हो जाता है।

ईटीएफ के नकारात्मक पहलू क्या हैं?

ईटीएफ निवेश के कुछ नकारात्मक पहलू हैं। ईटीएफ स्टॉक मार्केट निवेश के उचित मूल्य पर डिस्काउंट या प्रीमियम के साथ ट्रेड कर सकते हैं। वहीं, कुछ खास ईटीएफ जो किसी विशेष सेक्टर (एफएमसीजी, वित्तीय आदि) में निवेश करते हैं, वे निवेशकों को मनचाही विविधता नहीं दे पाते हैं।

ईटीएफ की लागत स्टॉक से ज्यादा है?

ईटीएफ में निवेशकों की संपत्तियों को मैनेज करने के लिए शुल्क लगता है। ईटीएफ अप्रत्यक्ष फंड हैं इसलिए शुल्क सक्रिय प्रबंधित फंड से कम होता है। हालांकि, स्टॉक में निवेश करने पर निवेशकों को किसी तरह का शुल्क नहीं देना पड़ता है।

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