हम सभी ऐसे स्टॉक में निवेश करना चाहते हैं जिसमें उसी दिन 50%,100% या यहां तक कि 1000% रिटर्न मिल जाए। मगर अफसोस कि सर्किट लिमिट के कारण यह संभव नहीं है क्योंकि इसके आगे स्टॉक की कीमत नहीं बढ़ सकती। भारत में अपर और लोअर सर्किट लिमिट भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) निर्धारित करता है।
आइए जानते हैं कि अपर और लोअर सर्किट लिमिट क्या है। इन लिमिट को कौन से स्टॉक हिट कर सकते हैं और जब स्टॉक या सूचकांक लिमिट को हिट करते हैं तो क्या होता है।
अपर सर्किट क्या है?
अपर सर्किट किसी शेयर का अधिकतम स्तर होता है, जिससे ज्यादा उस शेयर की कीमत या सूचकांक का मूल्य एक दिन में नहीं बढ़ सकता है। ऐसे शेयर जिन्हें बहुत से लोग खरीदना चाहते हैं, लेकिन मुश्किल से कोई बेच रहा है वो अपर सर्किट में आते हैं। अपर सर्किट की गिनती पिछले दिन के क्लोजिंग प्राइस (बंद मूल्य) के आधार पर की जाती है।
कुछ शेयरों का अपर सर्किट उनके पिछले दिन की क्लोजिंग प्राइस से 2% ज्यादा हो सकता है। वहीं, अन्य शेयरों में अपर सर्किट उनके पिछले दिन की क्लोजिंग प्राइस की तुलना में 5%, 10% या 20% ज्यादा हो सकता है।
एक ट्रेडिंग सेशन में स्टॉक की कीमत उसके अपर सर्किट से आगे नहीं बढ़ सकती है। वहीं, अगर कुछ लोग बेचना शुरू करते हैं तो कीमतें गिर सकती हैं।
लोअर सर्किट क्या है ?
किसी स्टॉक की कीमत या इंडेक्स का मूल्य जिस निचले स्तर तक गिर सकता है, उसे लोअर सर्किट कहा जाता है। लोअर सर्किट के अंदर ऐसे स्टॉक आते हैं, जिन्हें लोग बेचना तो चाहते हैं, लेकिन बहुत मुश्किल से उसकी खरीदी हो रही होती है।
लोअर सर्किट की गिनती पिछले दिन के क्लोजिंग प्राइस के आधार पर भी की जाती है। वहीं, अलग-अलग स्टॉक पर यह अलग-अलग हो सकता है।
कुछ शेयरों के लिए, लोअर सर्किट पिछले क्लोजिंग प्राइस से 2% कम हो सकता है, जबकि अन्य स्टॉक के लिए यह पिछले क्लोजिंग प्राइस से 5%, 10%, 15% या 20% कम हो सकता है।
एक ट्रेडिंग सेशन में स्टॉक की कीमत उसके लोअर सर्किट से ज्यादा नहीं गिर सकती है, लेकिन अगर लोग स्टॉक खरीदना शुरू करते हैं, तो इसकी कीमत बढ़ सकती है।
स्टॉक अपर या लोअर सर्किट में क्यों हिट करते हैं?
स्टॉक का अपर या लोअर सर्टिक पर हिट होने के कारणों को समझने के लिए नीचे दिया गया उदाहरण देखें-
जब कोई शेयर अपने अपर सर्किट को हिट करता है…
मान लीजिए कि एक नई ऑटोमोबाइल कंपनी अप्रत्याशित रूप से मार्केट लीडर के मार्केट शेयर से आगे निकल जाती है और इस स्टॉक की मांग अचानक बढ़ जाती है।
मगर इस कंपनी के शेयरधारक अपने शेयरों को बेचना नहीं चाहते हैं। इस दौरान जो लोग शेयर खरीदना चाहते हैं वे इन शेयरों के लिए ऊंची कीमतों की बोली लगा सकते हैं। अपर सर्किट के साथ स्टॉक की कीमत को एक ही दिन में आसमान छूने से रोकना और अस्थिरता एवं अनुचित अटकलों से निवेशकों की रक्षा करना संभव है। जैसे जनवरी 2022 में टेलीग्राम की पंप-एंड-डंप स्कीम पर हुआ था।
12 जनवरी 2022 को, SEBI ने एक टेलीग्राम ग्रुप के प्रशासकों पर आरोप लगाया कि उन्होंने पहले कुछ शेयरों को खरीदा और फिर अपने ग्राहकों को उन्हें खरीदने की सलाह देकर 2.84 करोड़ रुपये का गैरकानूनी मुनाफा कमाया था।
जब कोई शेयर लोअर मार्केट को हिट करता है…
मान लीजिए खबर आती है कि एक कंपनी अवैध व्यापार कर रही है। सरकार इस कंपनी पर शिकंजा कसने की उम्मीद कर रही है। अब, इस कंपनी के शेयर को कोई नहीं खरीदना चाहेगा। शेयरधारक अपने शेयर नहीं बेच पाएंगे क्योंकि कोई भी उन्हें खरीदना नहीं चाहता।
जब कोई स्टॉक नहीं खरीद रहा है, तो इसकी कीमत गिर सकती है। पहले से गिर रहे स्टॉक में निवेश करने के डर से स्टॉक की कीमत और गिर सकती है। इससे बचने के लिए लोअर सर्किट लगाया जाता है।ॉ
लोअर सर्किट को हिट कर रहे स्टॉक का उदाहरण
25 अप्रैल 2022 से 12 मई 2022 तक हर फ्यूचर रिटेल स्टॉक ने सभी ट्रेडिंग सेशन के लोअर सर्किट को हिट किया। इस एक महीने (13 अप्रैल-12मई) तक स्टॉक की कीमत में करीब 50% की कमी आई।
वो कारक जिनके कारण स्टॉक सर्किट लिमिट तक हिट कर सकते हैं
हम अक्सर सुनते हैं कि स्टॉक की कीमतें मांग और आपूर्ति की ताकतों से तय होती हैं। आपने महसूस किया होगा कि मांग और आपूर्ति के कौनसे स्तर पर कौनसा सर्किट प्रभावित होगा।
सैद्धांतिक रूप से कोई भी घटना, जो स्टॉक को ज्यादा आकर्षक बनाती है, वह स्टॉक की सर्किट लिमिट को हिट कर सकती है। स्टॉक के अपर या लोअर लिमिट को हिट करने के लिए ज्यादा आकर्षक परिवर्तन होना जरूरी है। हालांकि, कुछ मामलों में बाजार में उथल-पुथल के कारण भी कई बार स्टॉक सर्किट लिमिट को हिट करते हैं।
नीचे कुछ घटनाएं हैं, जो स्टॉक को अपर या लोअर सर्किट तक ले जा सकती हैं-
- कमाई में बेहतर या उम्मीद से कम प्रदर्शन
- राजनीतिक अनिश्चितता
- भौतिकीय दबाव
- विदेशी शेयर बाजारों में तेज गिरावट या उछाल के कारण निवेशकों के भरोसे में बदलाव
- ब्याज दरों में बदलाव
- राजकोषीय विस्तार या एकत्रीकरण
- व्यापार परिदृश्य में परिवर्तन (व्यापार समझौते, आर्थिक क्षेत्र, टैरिफ आदि)
- प्रतिस्पर्धी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं या कम प्रदर्शन कर रहे हैं
मार्केट-वाइड सर्किट ब्रेकर क्या है?
भारत में सभी इक्विटी और इक्विटी डेरिवेटिव बाजारों में हॉल्ट (halt) तब आता है, जब मार्केट-वाइड सर्किट ब्रेकर चालू होते हैं। एनएसई और बीएसई दोनों पर, सर्किट ब्रेकर अपने इंडेक्स के मूवमेंट के 3 चरणों में ट्रेडिंग गतिविधियों को हॉल्ट करते हैं।
हर एक हॉल्ट के बाद, एनएसई प्री-ओपन कॉल नीलामी सेशन के साथ फिर से खुलता है, जबकि बीएसई प्री-ओपनिंग सेशन के साथ फिर से खुलता है।
13 मार्च 2020 को शुरुआती कारोबार में निफ्टी 50 में 10% की गिरावट आई, जिस कारण एनएसई और बीएसई दो नों को 45 मिनट के लिए हॉल्ट करना पड़ा।
NSE पर मार्केट-वाइड सर्किट ब्रेकर
बीएसई सेंसेक्स या निफ्टी 50 में बदलाव (सकारात्मक या नकारात्मक) | ट्रिगर टाइम | मार्केट हॉल्ट की अवधि | मार्केट हॉल्ट की अवधिके बाद प्री-ओपन कॉल ऑक्शन सेशन |
10% | दोपहर 1 बजे से पहले | 45 मिनट | 15 मिनट |
दोपहर 1 बजे या उसके बाद 2.30 से पहले | 15 मिनट | 15 मिनट | |
दोपहर 2.30 बजे या उसके बाद | रूकने की कोई अवधि नहीं | लागू नहीं | |
15% | दोपहर 1 बजे से पहले | 1 घंटे 45 मिनट | 15 मिनट |
दोपहर 1 बजे या उसके बाद 2 बजे से पहले | 45 मिनट | 15 मिनट | |
दोपहर 2 बजे या उसके बाद | शेष दिन | लागू नहीं | |
20% | बाजार समय के दौरान किसी भी समय | शेष दिन | लागू नहीं |
BSE पर मार्केट-वाइड सर्किट ब्रेकर
बीएसई सेंसेक्स या निफ्टी 50 में बदलाव (सकारात्मक या नकारात्मक) | ट्रिगर टाइम | मार्केट हॉल्ट की अवधि | मार्केट हॉल्ट की अवधि के बाद प्री-ओपन कॉल ऑक्शन सेशन |
10% | दोपहर 1 बजे से पहले | 45 मिनट | 15 मिनट |
दोपहर 1 बजे या उसके बाद 2.30 से पहले | 15 मिनट | 15 मिनट | |
दोपहर 2.30 बजे या उसके बाद | रूकने की कोई अवधि नहीं | लागू नहीं | |
15% | दोपहर 1 बजे से पहले | 1 घंटे 45 मिनट | 15 मिनट |
दोपहर 1 बजे या उसके बाद 2 बजे से पहले | 45 मिनट | 15 मिनट | |
दोपहर 2 बजे या उसके बाद | शेष दिन | लागू नहीं | |
20% | दिन में किसी भी समय | शेष दिन | लागू नहीं |
आखिर में
निवेशकों को अनुचित अटकलों और अस्थिरता से बचाने के लिए सर्किट लिमिट तय की गई है। आमतौर पर जब स्टॉक की वांछनीयता (desirability) में बदलाव होता है, तो इसकी कीमत अपर और लोअर सर्किट को प्रभावित कर सकती है। मगर कुछ मामलों में बाजार के धोखेबाज स्टॉक की मांग और आपूर्ति को प्रभावित करने का प्रयास कर सकते हैं। निवेशकों को सावधान रहना चाहिए कि वे अपर या लोअर सर्किट से बाहर अपने शेयरों में ट्रेड न करें।वेल्थडेस्क पर, आप स्टॉक और ईटीएफ का मिश्रण पा सकते हैं, जिन्हें वेल्थबास्केट्स कहा जाता है। वेल्थबास्केट्स को SEBI से पंजीकृत पेशेवर मैनेज करते हैं। वेल्थबास्केट्स में सभी स्टॉक और ईटीएफ ग्राहक के डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर किए जाते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
जब स्टॉक का मूल्य अपर सर्किट पर होता है, तब कई खरीदार होते हैं, लेकिन कोई बेचने वाला नहीं। अगर आप बेचना चाहते हैं तो बेच सकते हैं क्योंकि खरीदारों की संख्या काफी ज्यादा होगी।
अपर सर्किट में बेचने वालों की काफी कमी होती है, ऐसे में शेयर खरीदना मुश्किल हो सकता है। खरीदारों को स्टॉक की कीमत गिरने तक इंतजार करना पड़ सकता है या अपर सर्किट मूल्य पर खरीदने की कोशिश करनी पड़ सकती है।
भारत में हॉल्ट की अवधि इंडेक्स के मूल्य में परिवर्तन के स्तर और समय पर निर्भर करती है। मार्केट-वाइड सर्किट ब्रेकरों की जानकारी इस आर्टिकल में पहले ही बता दी गई है। शेयरों के सर्किट के खत्म होने का कोई निश्चित समय नहीं है।
किसी स्टॉक की कीमत या इंडेक्स की निचली और ऊपरी सीमा को लोअर या अपर सर्किट कहते हैं। भारत में, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) सर्किट फिल्टर सेट करता है।