भारतीय शेयर बाजार का जब भी कोई जिक्र करता है तो यह हमें इतिहास में शेयर बाजार के क्रैश की याद दिलाता है। मार्च 2020 में शेयर बाजार (उदाहरण के लिए, बीएसई सेंसेक्स) ने बड़ी मंदी के संकेत दिए थे। 14 फरवरी 2020 को सेंसेक्स 41,257 से गिरकर 27 मार्च 2020 को 29,815 पर यानी 28% की गिरावट के साथ बंद हुआ था।
हालांकि, मार्च 2020 में उस एक महीने की गिरावट के बाद तस्वीर पूरी तरह से बदल गई। दुनिया भारत में सत्ता परिवर्तन के नजरिए से देखने लगी। बाजार अर्थव्यवस्था के प्रमुख संकेतक होते हैं। इसलिए भारतीय अर्थव्यवस्था की बढ़ोतरी शेयर बाजार में नजर आती है, जिसमें प्रमुख सूचकांक पिछले साल की तुलना में नई ऊंचाईयों को छू रहे हैं।
मार्च 2020 से अक्टूबर 2021 तक बीएसई सेंसेक्स का प्रदर्शन
भारतीय शेयर बाजार की मौजूदा स्थिति एक नए युग की शुरुआत है, लेकिन इसका इतिहास भी काफी दिलचस्प है।
आइए अब भारतीय शेयर बाजारों के इतिहास के बारे में जानें।
भारतीय शेयर बाजार का इतिहास
- भारतीय शेयर बाजार पहले एक कागजी व्यापार प्रणाली थी, जिसमें दलालों को शुरुआत में ही कीमत और मात्रा का रिकॉर्ड मिल जाता था। सर्वश्रेष्ठ मिलान भी मैन्युअल रूप से ही बनाए जाते थे। इस तरह से बाजार लोगों की बोलियों और आवाज से भरा रहता था।
- भारत में पहला स्टॉक एक्सचेंज 1875 में बॉम्बे (वर्तमान मुंबई), महाराष्ट्र में स्थापित किया गया था, जहां प्रतिभूतियों (securities) में व्यापार करने के लिए देशी शेयर और स्टॉक ब्रोकर एसोसिएशन का गठन किया गया था।
- 1992 तक बीएसई सेंसेक्स 300% की बढ़ोतरी दर्ज करते हुए 1000 से 4000 तक बढ़ गया। यह बिग बुल कहे जाने वाले हर्षद मेहता का दौर था। उनकी भारी खरीदारी ने बाजार को बड़ी ऊंचाइयों को छूने के लिए प्रेरित किया था।
- हर्षद मेहता के घोटाले का खुलासा होने के बाद, शेयर बाजार में अनावश्यक अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) की शुरुआत की गई।
- 2002 और 2003 में सेटलमेंट पीरियड को संशोधित कर T+2 व्यावसायिक दिन कर दिया गया, और बीएसई सेंसेक्स एक फ्री फ्लोट बाजार में बदल गया।
- 2004 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सत्ता में वापस आई और लोगों का सरकार पर से विश्वास उठ गया। सेंसेक्स में 11.14% की गिरावट दर्ज हुई, जो अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। एनएसई ने ईटीएफ लिस्टिंग भी लॉन्च की।
- 2008 में बाजार में गिरावट के बाद आईपीओ इंडेक्स लॉन्च किया गया। बाजार का समय बदलकर सुबह 9:00 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक हो गया।
- बीएसई ने 2014 में 100 लाख करोड़ रुपये के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) को हासिल कर लिया, जबकि एसएमई इंडेक्स ने 10 हजार करोड़ के आंकड़े को पार कर लिया।
- 2020 में कोविड-19 के बाद बाजार में भारी मात्रा में निवेश की बाढ़ आ गई। खूब नए डीमैट अकाउंट खोले गए। खुदरा निवेशकों का भरोसा फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे सुरक्षित ठिकाने से हटकर शेयर बाजार में निवेश की ओर चला गया। जून 2021 में डीमैट अकाउंट के पंजीकृत उपयोगकर्ताओं का आंकड़ा 7 करोड़ के पार चला गया।
स्रोत: bseindia.com, nseindia.com
स्टॉक एक्सचेंज का इतिहास
स्टॉक एक्सचेंज का इतिहास भारतीय शेयर बाजार के इतिहास का प्रतिनिधित्व करता है। स्टॉक एक्सचेंज वह प्लेटफॉर्म है, जहां निवेशक शेयरों का व्यापार करते हैं। इससे पहले, भारत में 8 राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज और 21 क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज थे। सेबी द्वारा नियमों को कड़ा करने के बाद कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज को छोड़कर भारत में सभी क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंजों को बंद कर दिया गया।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी स्थापना साल 1875 में हुई थी। इसके कई सूचकांक हैं और मशहूर सूचकांकों में से एक बीएसई सेंसेक्स है। बीएसई सेंसेक्स में बीएसई पर सूचीबद्ध (लिस्टेड) 30 स्टॉक शामिल हैं। बीएसई की वेबसाइट के मुताबिक 31 मार्च 2021 को 18,143 लिस्टेड सिक्योरिटी हैं।
स्रोत: bseindia.com
कोविड-19 की वजह से लगे झटके के बाद बाजार में तेजी आई है। बीएसई में सभी लिस्टेड कंपनियों में से केवल 30 शीर्ष कंपनियां ही बीएसई सेंसेक्स में शामिल होती हैं, जो सूचकांक का गठन करती है। ये 30 समय-समय पर बदलती रहती हैं।
सेंसेक्स के प्रदर्शन का इतिहास:
साल | बीएसई सेंसेक्स का मूल्य | पिछले मूल्य से वर्षों की संख्या | CAGR |
1990 | 1,048.29 | ||
2000 | 3,972.12 | 10 | 14.25% |
2010 | 20,509.09 | 10 | 17.84% |
2020 | 47,751.33 | 10 | 8.82% |
2021 | 61,305.95 | 1 | 28.39% |
बीएसई का CAGR
बीएसई बाजार की प्रगति को नीचे दिए गए ग्राफ में देखा जा सकता है।
बीएसई का इतिहास
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की स्थापना 1992 में हुई थी। इसमें कई सूचकांक शामिल हैं और मशहूर सूचकांकों में से एक निफ्टी 50 इंडेक्स है। निफ्टी 50 इंडेक्स में एनएसई पर लिस्टेड 50 कंपनियां शामिल हैं। 31 मार्च 2021 तक NSE में 1920 फर्म लिस्टेड थे। निफ्टी 50 इंडेक्स और कुछ नहीं बल्कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड शीर्ष 50 कंपनियों का औसत है।
निफ्टी 50 का प्रदर्शन का इतिहास:
साल | निफ्टी 50 का मूल्य | पिछले मूल्य के बाद से वर्षों की संख्या | CAGR |
2000 | 1,263.55 | ||
2005 | 2,836.55 | 5 | 17.55% |
2010 | 5,134.50 | 5 | 16.68% |
2015 | 7,946.35 | 5 | 5.31% |
2020 | 13,981.75 | 5 | 11.96% |
2021 | 18,338.55 | 1 | 31.16% |
एनएसई का CAGR
स्थापना के बाद से इस सूचकांक का प्रदर्शन नीचे दिए गए ग्राफ में देखा जा सकता है:
एनएसई का इतिहास
भारत में शेयर बाजार को क्या चीजें प्रभावित करती हैं?
शेयर बाजार केवल शेयर की कीमतों और मात्रा के बारे में नहीं है। भारत में शेयर बाजार को कई चीजें प्रभावित करती हैं।
- अगर हम बाजार को अर्थशास्त्र से जोड़ते हैं, तो यह आर्थिक कारकों से प्रभावित होता है जैसे घरेलू खपत, धन का स्तर, उपभोक्ताओं का भरोसा, कारखानों की क्षमता, व्यापार आशावाद, दुनिया के बाकी हिस्सों से आय और घरेलू मुद्रा दर।
- इसके अलावा ब्याज दर और मुद्रा आपूर्ति भी अतिरिक्त कारक हैं, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को प्रभावित करते हैं और इस तरह शेयर बाजार में धन प्रवाह (Money Flow) पर प्रभाव पड़ता है।
- चुनाव और आर्थिक सुधार भारत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बाजार शासन और उसकी नीतियों की ताकत से संचालित होता है। 1994, 2004 और 2014 में बाजार ने उसी तरीके से व्यवहार किया था।
- भारत को अब एक उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जा रहा है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय मामले और आर्थिक सुधार भारत में शेयर बाजार को भी प्रभावित करते हैं।
वेल्थडेस्क भारत में अग्रणी निवेश सलाहकारों के साथ साझेदारी करता है, जो निवेशकों को बेहतर प्रदर्शन के साथ डावर्सिफाइड पोर्टफोलियो देते हैं। इन शीर्ष सलाहकारों द्वारा बनाए और संचालित किए जाने वाले वेल्थबास्केट पूरी तरह से शोध आधारित हैं।
निष्कर्ष
शेयर बाजार इस तरह भावनाओं से प्रेरित होता है कि हम किसी विशेष परिस्थिति में कैसे व्यवहार करते हैं। कोविड-19 के बाद खास तौर पर भारत में व्यावसायिक भरोसे में बढ़ोतरी और सकारात्मक रूप से चलने वाली कई चीजों के कारण बाजार में तेजी देखी गई। आप देख सकते हैं कि कई शेयर कोविड-19 से पहले की तुलना में अब अपने उच्चतम स्तर को पार कर रहे हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
कॉटन किंग के नाम से मशहूर प्रेमचंद रॉय चंद ने 1875 में स्टॉक ब्रोकिंग का कारोबार शुरू किया था।
1992 में हर्षद मेहता घोटाले के प्रकाश में स्टॉक मार्केट में अनियंत्रित परिवर्तनीयता के चलते SEBI की स्थापना की गई थी। SEBI की स्थापना स्टॉक मार्केट को नियामित और निगरानी करने के लिए की गई थी, ताकि उसकी स्थिरता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके।
BSE सेंसेक्स और निफ्टी 50 भारतीय स्टॉक मार्केट के मुख्य सूचकांक हैं। BSE सेंसेक्स BSE पर सूचीबद्ध 30 सबसे अधिक व्यापार की जाने वाली स्टॉक्स को प्रतिष्ठापित करता है, जबकि निफ्टी 50 NSE पर सूचीबद्ध शीर्ष 50 स्टॉक्स को शामिल करता है। उनका प्रदर्शन भारतीय स्टॉक मार्केट की समग्र स्वास्थ्य और प्रवृत्तियों का संकेत देता है।
COVID-19 महामारी ने मार्च 2020 में एक महत्वपूर्ण बाजार क्रैश का कारण बना। हालांकि, इस अवधि के बाद मार्केट ने आश्चर्यजनक रूप से वसूली की, नई ऊचाईयों को छूने। इस परिवर्तन का मुख्य कारण भारत में व्यापार के आत्मविश्वास में वृद्धि और नए खुदरा निवेशकों की संख्या में वृद्धि थी, जो पारंपरिक सुरक्षित अड्डों जैसे कि निश्चित जमा से स्टॉक मार्केट निवेश में जल्दी बदल रहे थे।
भारतीय स्टॉक मार्केट पर आर्थिक सूचकांक, सरकारी नीतियां, अंतर्राष्ट्रीय मामले, चुनाव, ब्याज दरें, और मनी सप्लाई जैसे विभिन्न कारकों का प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त, बाजार की भावनाएं – निवेशकों की सामूहिक भावनाएं और रवैये – बाजार के रुझानों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
सार्वजनिक छुट्टियों को छोड़कर शेयर बाजार सुबह 9:15 बजे खुलता है और दोपहर 3:30 बजे बंद हो जाता है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है।
पहला शेयर बाजार 1792 में न्यूयॉर्क में वॉल स्ट्रीट नामक सड़क के एक कोने पर शुरू हुआ था।