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भारतीय शेयर बाजार ओवरवैल्यूड या अंडरवैल्यूड है? इन आसान तरीकों से करें पता

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साल 2021 में भारतीय शेयर बाजार ने कई रिकॉर्ड कायम किए हैं। अक्टूबर में BSE सेंसेक्स 62,245 पॉइंट का आंकड़ा छू गया था और दिसंबर में बंद होते समय तक यह 57,000 पॉइंट से ऊपर था। निफ्टी भी साल की शुरुआत में 17000 के आंकड़े को पार कर गया था।

आर्थिक दिक्कतों के बावजूद भी इन सूचकांकों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। विश्लेषकों का अनुमान है कि भारतीय शेयर बाजार वर्तमान में ओवरवैल्यूड के दौर से गुजर रहा है।

सही मायने में भारतीय शेयर बाजार का मूल्यांकन क्या है? ओवरवैल्यूड और अंडरवैल्यूड स्टॉक क्या हैं? आपके लिए शेयर बाजार के ओवरवैल्यूड का क्या मतलब है? इस आर्टिकल में इन सभी विषयों पर चर्चा करेंगे।

ओवरवैल्यूड और अंडरवैल्यूड स्टॉक क्या हैं?

P/E रेश्यो (लॉन्ग टर्म एवरेज P/E) द्वारा गणना करने पर जब किसी शेयर की कीमत उसके वास्तविक मूल्य से बहुत ज्यादा होती है, तो उसे ओवरवैल्यूड कहते हैं। वहीं, जिस शेयर की कीमत उसके वास्तविक मूल्य से बहुत कम हो, उसे अंडरवैल्यूड कहते हैं।

स्टॉक मार्केट बबल क्या है?

वित्तीय बाजार में जब स्टॉक या वित्तीय एसेट की कीमत वास्तविक मूल्य से काफी ज्यादा होती है, तो उसे बबल क्षेत्र में मानते हैं। यदि स्टॉक की कीमत लंबे समय के लिए ज्यादा है, तो यह बबल हो सकता है।

बबल आमतौर पर अवसरवादियों और सट्टा खरीद के कारण होता है। बाजार के सहभागी स्टॉक को बबल श्रेणी में डालने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

लोग शेयर की कीमत बढ़ने का इंतजार करते हैं और फिर उसे खरीदने लगते हैं। इस कारण शेयर की मांग बढ़ जाती है और इसकी कीमत में वास्तविकता से ज्यादा बढ़ोतरी होती है।

जब बबल फूटने की स्थिति में होता है तो बिक्री घट जाती है, जिससे मांग गिरती है और आपूर्ति बढ़ती है। इस कारण शेयर की कीमत तेजी से नीचे गिर जाती है।

बबल के कभी भी फटने के डर से घाटा होने की आशंका बनी रहती है। बबल क्षेत्र का सबसे मशहूर उदाहरण अमेरिका में 2007 का हाउसिंग क्राइसिस है।

कैसे पता करें स्टॉक मार्केट ओवरवैल्यूड है या अंडरवैल्यूड?

स्टॉक ओवरवैल्यूड है या नहीं, इसका पता लगाना मुश्किल है। हालांकि, विश्लेषक और अर्थशास्त्री इसका पता लगाने के लिए कई सूचकांकों का आकलन करते हैं।

स्टॉक मार्केट ओवरवैल्यूड है या नहीं, ट्रैक करने के लिए विकल्प

शेयर मार्केट कैपिटल टू जीडीपी रेश्यो

स्टॉक ओवरवैल्यूड है या नहीं, शेयर मार्केट कैपिटल टू जीडीपी रेश्यो कैलकुलेशन के जरिये आकलन किया जाता है। इसकी गणना सकल घरेलू उत्पाद (GDP) द्वारा मौजूदा शेयर बाजार पूंजीकरण (सभी सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार पूंजीकरण का कुल) को विभाजित करके की जाती है।

50-75% के बीच बाजार को अंडरवैल्यूड कहते हैं। 75-90% के बीच बाजार को सही माना जाता है और जब मूल्य 100% से ज्यादा हो जाता है, तो इसे ओवरवैल्यूड माना जाता है। इस रेश्यो को बुफे इंडिकेटर कहते हैं।

प्राइस टू अर्निंग रेश्यो

इसकी गणना कंपनी के शेयर की कीमत को उसके प्रति शेयर आय से विभाजित करके किया जाता है। इससे निवेशकों को पता चलता है कि शेयर ओवरवैल्यूड है या नहीं। ज्यादा P/E रेश्यो निवेशकों के लिए सही नहीं माना जाता है।

प्राइस टू बुक वैल्यू प्रति शेयर

शेयर की बुक वैल्यू की कीमत ​कंपनी की कमाई क्षमता के बारे में बताती है। परंपरागत निवेशक इसका इस्तेमाल करते हैं। यह निवेशकों को ‘सेफ्टी मार्जिन’ कैलकुलेशन करने में मदद करता है। P/B रेश्यो शेयर के बाजार मूल्य को कंपनी की पिछली तिमाही के बुक वैल्यू प्रति शेयर से विभाजित करके निकाला जाता है।

क्या शेयर बाजार अभी ओवरवैल्यूड है?

साल 2021 में BSE सेंसेक्स और NSE निफ्टी50 जैसे प्रमुख सूचकांकों के प्रदर्शन और ऊपर बताए गए इंडिकेटर्स के आधार पर शेयर बाजार ओवरवैल्यूड माना जा सकता है।

शेयर बाजार बबल में होने के कई और भी कारण हैं। आइए जानते हैं…

  • भारतीय रिज़र्व बैंक की 2020-21 की रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2021 तक P/E के कम होने के कारण शेयर बाजार ओवरवैल्यूड दर्ज किया गया था। गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी अगस्त 2021 में निवेशकों को इसकी चेतावनी दी थी।
  • COVID महामारी के प्रभाव से बेपटरी हुई अर्थव्यवस्था अब पटरी पर आ रही है। बाजार लगातार बढ़ोतरी कर रहा है। यह बढ़ोतरी निश्चित रूप से एक ओवरवैल्यूड मार्केट का संकेत है।
  • भारत का बाजार पूंजीकरण सकल घरेलू उत्पाद अनुपात सितंबर में 188% के सबसे ऊंचे रिकॉर्ड पर पहुंच गया ​था।
  • साल 2021 कई IPO के नाम रहा। जोमैटो और पेटीएम जैसे ब्रांड शेयर बाजार में लिस्ट हुए। सार्वजनिक धारणा में बदलाव ने शेयरों की मांग को बढ़ाया। IPO में शुरुआती बढ़त की वजह से अब मांग ज्यादा है। यही वजह है कि कई डीमैट अकाउंट खोले जा रहे हैं और इनकी संख्या भी पिछले साल की तुलना में दोगुनी हो गई है।
  • वित्त वर्ष 2020-21 के अंत तक कुल डेट (Debt) का जीडीपी अनुपात 58.73% रहा। इस तरह का आकलन ओवरवैल्यूड मार्केट की स्थिति दर्शाता है।

क्या अभी शेयरों में निवेश करना सही है?

जब शेयर बाजार ओवरवैल्यूड हो और जनता की रुचि से परे हो तो निवेशकों को सचेत रहना चाहिए। यह बात शेयर बाजार के अंडरवैल्यूड होने पर भी लागू होती है। उस समय भी आपको वित्तीय नुकसान उठाना पड़ सकता है।अगर आप लंबी अवधि के निवेशक हैं, तो आपको हमेशा हाई क्वालिटी वाले शेयरों को खरीदना चाहिए, भले ही उनका मूल्य बहुत ज्यादा ना हो, लेकिन ऐसे स्टॉक बबल फटने पर भी बेहतर नतीजे दे सकते हैं। ऐसे में आपको इस मुश्किल बाजार को अच्छे से समझने के बाद ही कोई फैसला ​लेना चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

क्या भारतीय शेयर बाजार में बबल होने पर निवेश करना उचित है?

अगर आप सावधानी से अपने निवेश की योजना बनाते हैं, तो भारतीय शेयर बाजारों में सुरक्षित रूप से निवेश कर सकते हैं। हाई क्वालिटी वाले शेयरों को खरीदने से आप बबल के प्रभाव से बच सकते हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस के प्रभाव से कब उबरेगी?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था अब कोरोना के प्रभाव से तेजी से उभर रही है। हालांकि, इसके पूरी तरह से सामान्य होने में वक्त लग सकता है। 22 में से 19 HFI ने अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन अन्य को पहले की स्थिति में आने पर वक्त लग रहा है। ऐसे में एक ओवरवैल्यूड बबल, अगर है तो कुछ समय तक बना रह सकता है।

क्या शेयर बाजार कभी भी जल्द ही क्रैश हो जाएगा?

शेयर बाजार पूरी तरह से क्रैश नहीं हो सकता। ओमिक्रॉन के चलते सेंसेक्स और निफ्टी दिसंबर के मध्य तक 2.5% गिर चुके थे। अगर मामलों में बढ़ोतरी देखी गई तो और गिरावट दर्ज की जा सकती है। इसमें से कुछ गिरावट दिसंबर 2021 में देखी गई थी।

शेयर बाजार का बबल अच्छा है या बुरा?

शेयर बाजार के बबल लगभग सभी निवेशकों के लिए नुकसानदायक होते हैं। हम उन्हें लेकर अनुमान नहीं लगा सकते, जिससे नुकसान होने का खतरा बना रहता है।

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